भोपाल। मध्य प्रदेश में शराब ठेकेदारों की मनमानी और प्रशासनिक लापरवाही का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। एक ओर गरीबों के सिर पर छत देने के उद्देश्य से चलाई जा रही प्रधानमंत्री आवास योजना का मकसद ही कुछ जगहों पर धूमिल होता दिख रहा है, तो दूसरी ओर नाबालिगों को शराब बेचने जैसी शर्मनाक घटनाएं सरकार की छवि पर प्रश्नचिह्न खड़े कर रही हैं। उमरिया जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक गरीब परिवार को आवंटित घर में शराब की दुकान खुल जाने से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश फैल गया। बताया जा रहा है कि इस आवास का उपयोग लाभार्थी के बजाय ठेकेदार ने शराब बिक्री केंद्र के रूप में करना शुरू कर दिया है। सूचना मिलते ही स्थानीय लोगों ने विरोध जताते हुए प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की। वहीं दूसरी ओर मंडला जिले में तो मामला और भी गंभीर है। यहां एक शराब विक्रेता ने नाबालिग स्कूली छात्रा को शराब बेच दी। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस और आबकारी विभाग हरकत में आए। जिला प्रशासन ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित ठेकेदार की जिम्मेदारी तय करने की बात कही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि एक ओर सरकार “नशा मुक्त समाज” की बात करती है, वहीं दूसरी ओर शराब ठेकों की अनियमितता से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। ग्रामीणों ने मांग की है कि पीएम आवास योजना जैसे जनहितकारी प्रोजेक्ट को व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, दोनों मामलों की जांच संबंधित एसडीएम और आबकारी विभाग को सौंप दी गई है। दोषी पाए जाने पर लाइसेंस रद्द करने और कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। जनता अब यह सवाल उठा रही है कि आखिर गरीबों के घर में शराब ठेका खोलने और छात्रा को शराब बेचने जैसे शर्मनाक कृत्यों पर अब तक इतनी लापरवाही क्यों बरती गई?, राज्य सरकार के लिए यह दोहरी चुनौती है — एक ओर विकास की योजनाओं को बचाना, और दूसरी ओर शराब माफिया पर नकेल कसना।









