वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने गुरुवार को नई दिल्ली में भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन से शिष्टाचार भेंट की। उपराष्ट्रपति आवास पर हुई इस मुलाक़ात में संस्कृत भाषा के संरक्षण, प्रसार, अध्यापन और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत, गहन और सारगर्भित बातचीत हुई।कुलपति प्रो. शर्मा ने बताया कि उपराष्ट्रपति ने अत्यंत आत्मीयता और समर्पित भाव के साथ शिक्षा, संस्कृत, संस्कृति, सामाजिक सौहार्द और श्रेष्ठ संसदीय परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के संदर्भ में संस्कृत के प्रोत्साहन और उसके व्यापक उपयोग को समय की मांग बताते हुए महत्वपूर्ण सुझाव प्रदान किए। प्रो. शर्मा ने उपराष्ट्रपति को विश्वविद्यालय में चल रहे शोध कार्यों, पाठ्यक्रम विस्तार, डिजिटल माध्यमों से संस्कृत के प्रचार-प्रसार तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली के अंतर्गत किए जा रहे नवाचारों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय की इन पहलों की सराहना करते हुए संस्कृत के वैश्विक महत्व को रेखांकित किया और कहा कि प्राच्य ज्ञान परंपरा भारत की सांस्कृतिक शक्ति है, जिसे विश्व के सामने नए रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। कुलपति ने इस अवसर पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिवार की ओर से उपराष्ट्रपति को वाराणसी पधारकर विश्वविद्यालय का मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद प्रदान करने का विनम्र आमंत्रण भी सौंपा। उन्होंने बताया कि उपराष्ट्रपति ने इस आमंत्रण को सहर्ष स्वीकारते हुए इसे गंभीरता से विचारार्थ माना और शीघ्र आगमन का सकारात्मक संकेत दिया। प्रो. शर्मा ने उपराष्ट्रपति की सदाशयता, आत्मीय व्यवहार और संस्कृत के प्रति गहरी संवेदनशीलता पर आभार व्यक्त करते हुए कहा, “हमें पूर्ण विश्वास है कि उपराष्ट्रपति महोदय के मार्गदर्शन से विश्वविद्यालय न केवल नई ऊँचाइयों को छुएगा, बल्कि संस्कृत के वैश्विक पुनरुत्थान में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा।” इस उच्चस्तरीय मुलाक़ात को विश्वविद्यालय जगत में संस्कृत एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।









