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काशी की धड़कन पर प्रशासनिक प्रहार!, दालमंडी के व्यापारियों ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय से की मुलाकात, बोले– “यह बाजार नहीं, हमारी पहचान है”

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वाराणसी। काशी की ऐतिहासिक आर्थिक धड़कन मानी जाने वाली दालमंडी इस समय शासन-प्रशासन की कथित मनमानी कार्रवाई से उथल-पुथल में है। मंगलवार को दालमंडी क्षेत्र के सैकड़ों आक्रोशित व्यापारियों ने लहुराबीर स्थित कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के आवास पर पहुंचकर अपनी पीड़ा व्यक्त की। व्यापारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा चलाई जा रही कार्रवाई जबरन, पक्षपातपूर्ण और दमनकारी है, जिससे बाजार के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है और हजारों परिवारों का भविष्य दांव पर लग गया है। व्यापारियों की भावनाओं को साझा करते हुए अजय राय ने कहा कि “मोदी-योगी सरकार का यह कदम केवल दुकानों को हटाने का मामला नहीं, बल्कि बनारस की अर्थव्यवस्था और कारीगर संस्कृति पर सीधा हमला है। दालमंडी सिर्फ बाजार नहीं, यह काशी की पहचान, परंपरा और आर्थिक जीवन का केंद्र है।” अजय राय ने कहा कि वर्तमान सरकार छोटे व्यापारियों को कुचलकर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की नीति पर चल रही है। उन्होंने सवाल उठाया, “जब सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बात करती है, तो फिर बनारस के मेहनतकश व्यापारियों का आत्मनिर्भरता का अधिकार क्यों छीना जा रहा है?”। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि “यह निकम्मी और असंवेदनशील सरकार रोजगार देने के बजाय रोज़गार छीनने में लगी है। बनारस के व्यापारियों का अपमान, काशी का अपमान है। कांग्रेस पार्टी व्यापारी समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करेगी और जब तक अन्याय रुकेगा नहीं, हमारी आवाज़ सड़कों से सदन तक गूंजती रहेगी।” अजय राय ने प्रशासन से मांग की कि दालमंडी में की जा रही कार्रवाई तत्काल रोकी जाए और व्यापारियों के साथ संवाद स्थापित कर मानवता और न्याय आधारित समाधान निकाला जाए। बैठक में महानगर कांग्रेस अध्यक्ष राघवेन्द्र चौबे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अब्दुल हमीद डोडे, खालिद सिद्दीकी, हाजी इस्लाम, तथा दालमंडी व्यापार समिति के पदाधिकारी शामिल रहे। इस दौरान व्यापारियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई वापस नहीं ली, तो व्यापक आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। भीड़भाड़ से भरी गलियों और सदियों पुरानी पहचान रखने वाली दालमंडी सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि बनारस की संस्कृति, परंपरा और जीविका की जड़ है — यही कारण है कि इस पर किसी भी दमनकारी कार्रवाई को बनारस का व्यापारी वर्ग अपने अस्तित्व की लड़ाई मान रहा है।

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