वाराणसी। पांडेयपुर क्षेत्र स्थित मानसिक चिकित्सालय के समीप कर्मचारी राज्य बीमा निगम चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में मंगलवार को बड़ी संख्या में मरीजों और उनके परिजनों ने जमकर हंगामा किया। नाराज मरीजों का आरोप है कि अस्पताल में लापरवाही, दुर्व्यवहार और अनियमितता रोजमर्रा की बात बन चुकी है। इलाज में देरी, अधूरी दवाएं और अव्यवस्थित दवा वितरण की वजह से मरीजों को घंटों परेशान होना पड़ रहा है।दवा काउंटर के कर्मचारी बिना सूचना के समय से पहले ही काउंटर बंद कर चले जाते हैं। मरीजों का कहना है कि उन्हें सुबह से लेकर शाम तक लाइनों में खड़े रहना पड़ता है, लेकिन इलाज और दवा मिलना नामुमकिन हो गया है। कई मरीजों ने भूख-प्यासे दिन काटने की भी शिकायत की।अस्पताल के मैनेजर से जब लोगों ने शिकायत की तो उन्होंने दवाओं की कमी और स्टाफ की अनुपलब्धता का बहाना बनाकर असमर्थता जता दी। वहीं दोपहर 1 से 2 बजे तक लंच के नाम पर सभी कर्मचारी, डॉक्टर, दवा काउंटर कर्मी और सुरक्षाकर्मी एक साथ गायब हो जाते हैं। इस दौरान मरीज और उनके attendant इधर-उधर भटकते दिखते हैं।सबसे शर्मनाक घटना उस समय हुई जब कैंट थाना क्षेत्र के सरसौली ,भोजुबीर निवासी एक वृद्ध महिला की अस्पताल में मौत हो गई। शव को घर ले जाने के लिए परिजनों ने एंबुलेंस चालक से अनुरोध किया, मगर चालक ने मात्र 500 मीटर दूरी तय करने के लिए 1500 रुपये किराया मांगा। जब परिजन देने में असमर्थ रहे, तो शव घंटों इमरजेंसी वार्ड में पड़ा रहा। आखिरकार बेबस परिजनों को एक टोटो रिक्शा बुलाकर शव घर ले जाना पड़ा।इस घटना से नाराज परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि यह स्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के सरकारी अस्पताल की है, जहां न सेवा का भाव है, न संवेदना का असर। आए दिन यहां दवा, टोकन और सुरक्षाकर्मियों के दुर्व्यवहार को लेकर हंगामा होता रहता है, लेकिन जिम्मेदार विभाग नींद में हैं।मरीजों और परिजनों ने सरकार से मांग की है कि अस्पताल में मौजूदा अव्यवस्था, दवा की किल्लत और मनमानी करने वाले कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि ईएसआईसी अस्पताल अपने नाम के अनुरूप सेवाभाव में काम कर सके।









