
वाराणसी।आज पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ दीवाली का पर्व मनाया जा रहा है। कार्तिक अमावस्या तिथि पर दीपों की रोशनी से सजी गलियां, घरों में जगमगाते दीपक और रंग-बिरंगी सजावट ने उत्सव का माहौल बना दिया है। इस शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना कर धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
दिवाली की तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरुआत आज 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगी और इसका समापन 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 55 मिनट पर होगा। इस पावन तिथि पर पूजा-पाठ के लिए विशेष मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं।
पूजा के विशेष शुभ मुहूर्त
इस वर्ष दिवाली के दिन दो प्रमुख शुभ काल बन रहे हैं — प्रदोष काल और स्थिर लग्न (वृषभ काल)। इन मुहूर्तों में लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।


मुहूर्त का नाम समय महत्व
प्रदोष काल शाम 5:46 बजे – रात 8:18 बजे पारंपरिक लक्ष्मी-गणेश पूजन का मुख्य काल
स्थिर लग्न (वृषभ काल) शाम 7:08 बजे – रात 9:03 बजे मां लक्ष्मी की आराधना के लिए अत्यंत शुभ
विशेष पूजन मुहूर्त शाम 7:08 बजे – रात 8:18 बजे 1 घंटा 11 मिनट का सर्वोत्तम पूजन काल
महानिशीथ काल रात 11:41 बजे – 12:31 बजे साधना और तांत्रिक पूजन का विशेष समय
पूजन विधि: कैसे करें लक्ष्मी-गणेश की पूजा
1. घर की पूर्ण सफाई कर मुख्य द्वार पर रंगोली और दीप सजाएं।
2. पूजन स्थल पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
3. धूप, दीप, पुष्प, मिठाई, चावल, सिक्के और कमल पुष्प अर्पित करें।
4. सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, फिर मां लक्ष्मी का आह्वान करें।
5. परिवार सहित विधिवत आरती कर दीप जलाएं और समृद्धि की कामना करें।
शास्त्रों के अनुसार, दिवाली की रात स्थिर लग्न में की गई मां लक्ष्मी की पूजा से घर में स्थायी धन और ऐश्वर्य का वास होता है। वहीं महानिशीथ काल में साधना करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। दीपों का यह पर्व न केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, बल्कि खुशहाली और मंगलकामना का उत्सव भी है।दीपावली के पावन अवसर पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि का प्रकाश फैलाएं। “दीपों की रोशनी से उज्ज्वल हो आपका जीवन और हर द्वार पर दस्तक दे खुशियां।”
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