वाराणसी 18 अक्टूबर 2025 । भारत की तकनीकी दक्षता और औद्योगिक आत्मनिर्भरता का परचम एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर लहराया। बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने ‘मेक इन इंडिया—मेक फॉर द वर्ल्ड’ के विजन को साकार करते हुए मोज़ाम्बिक के लिए निर्मित 3300 हॉर्स पावर एसी-एसी डीज़ल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का चौथा इंजन सफलतापूर्वक रवाना कर भारत की इंजीनियरी क्षमता को नई ऊँचाइयाँ प्रदान कीं।‘मेक इन इंडिया’ की प्रगति का प्रतीकमहाप्रबंधक श्री नरेश पाल सिंह के नेतृत्व में बरेका ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उच्च दक्षता वाले इंजनों का निर्माण कर यह सिद्ध कर दिया है कि भारत अब केवल आत्मनिर्भर नहीं बल्कि विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में भी सक्षम है। यह उपलब्धि देश की औद्योगिक नीतियों एवं सरकारी योजनाओं की सफलता का सजीव उदाहरण है।10 इंजनों के निर्यात अनुबंध का महत्वबरेका द्वारा मोज़ाम्बिक को भेजे गए इंजन मेसर्स राइट्स (RITES) के माध्यम से किए गए 10 इंजनों के निर्यात अनुबंध का हिस्सा हैं।पहले दो इंजन जून 2025 में सफलतापूर्वक भेजे गए।तीसरा इंजन सितंबर 2025 में रवाना किया गया।चौथा इंजन आज, 18 अक्टूबर 2025 को मोज़ाम्बिक के लिए भेजा गया।बचे हुए छह इंजनों का प्रेषण दिसंबर 2025 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है।यह अनुबंध न केवल भारतीय इंजीनियरी क्षमता में विदेशी विश्वास का प्रतीक है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल को सशक्त बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम भी है।तकनीकी उत्कृष्टता की मिसाल: इंजन की विशेषताएँबरेका द्वारा निर्मित 3300 एचपी क्षमता वाले एसी-एसी डीज़ल-इलेक्ट्रिक इंजन केप गेज (1067 मिमी) ट्रैक पर अधिकतम 100 किमी प्रति घंटा की गति से दौड़ने में सक्षम हैं।
इन अत्याधुनिक इंजनों की विशेषताएँ —चालक की सुविधा हेतु रेफ्रिजरेटर, हॉट प्लेट, मोबाइल होल्डर और शौचालय की व्यवस्थानवीनतम मानव-केंद्रित कैब डिज़ाइनचालक की सुरक्षा और आराम के लिए बेहतर दृश्यता और एर्गोनॉमिक नियंत्रणउच्च ईंधन दक्षता और पर्यावरण-अनुकूल तकनीकये विशेषताएँ बरेका को उन चुनिंदा वैश्विक विनिर्माण इकाइयों की श्रेणी में खड़ा करती हैं जो आधुनिक रचना और मानवीय आवश्यकताओं के बीच उत्कृष्ट संतुलन स्थापित करती हैं।मोज़ाम्बिक रेलवे (CFM) का भरोसा और नया अनुबंधइससे पूर्व बरेका द्वारा निर्मित छह 3000 एचपी इंजनों ने मोज़ाम्बिक की रेल प्रणाली में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अपनी विश्वसनीयता सिद्ध की थी। इन्हीं इंजनों की सफलता से प्रभावित होकर मोज़ाम्बिक रेलवे ने 3300 एचपी क्षमता वाले नए इंजनों का अनुबंध बरेका को सौंपा। यह निर्णय भारत की औद्योगिक गुणवत्ता, इंजीनियरिंग क्षमता और सेवा मानकों पर बढ़ते वैश्विक भरोसे को दर्शाता है।अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय इंजीनियरी की गूंज1956 में स्थापना के बाद से बरेका ने विभिन्न प्रकार के 10,000 से अधिक लोकोमोटिव का सफल निर्माण किया है। भारत के अलावा वियतनाम, मोज़ाम्बिक, माली, अंगोला, म्यांमार, श्रीलंका और सूडान जैसे देशों को निर्यातित बरेका के इंजन आज भारतीय प्रौद्योगिकी की मिसाल बन चुके हैं।महाप्रबंधक का संबोधन: टीम भावना और समर्पण को सलामइस अवसर पर महाप्रबंधक श्री नरेश पाल सिंह ने कहा कि यह उपलब्धि बरेका परिवार के प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी की मेहनत, समर्पण और तकनीकी दक्षता का प्रतिफल है। उन्होंने कहा,“बरेका का हर इंजन केवल धातु का ढाँचा नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी सोच और नवाचार भावना का प्रतीक है। हम न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए निर्माण कर गर्व महसूस करते हैं।”उन्होंने इस अंतरराष्ट्रीय सफलता को नवनिर्मित ‘विकसित भारत’ की दिशा में एक मजबूत कदम बताते हुए पूरा श्रेय बरेका टीम की लगन, अनुशासन और तकनीकी प्रतिबद्धता को दिया।वैश्विक सहयोग और भविष्य की दिशाबरेका अब मोज़ाम्बिक सहित अन्य अफ्रीकी और एशियाई देशों के साथ नए औद्योगिक सहयोग के अवसर तलाश रहा है। उन्नत तकनीक, बेहतर उत्पादन क्षमता और ‘क्वालिटी फर्स्ट’ नीति के बल पर यह कारखाना भारतीय रेल उद्योग को विश्व स्तर पर अग्रणी स्थान दिलाने के मार्ग पर निरंतर अग्रसर है।









