मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के नए परिसर की आधारशिला रखी और स्पष्ट किया कि यह नया भवन किसी सात सितारा होटल की भव्यता नहीं बल्कि न्याय का मंदिर होना चाहिए। बांद्रा (पूर्व) में बनने वाले इस नए हाईकोर्ट परिसर के भूमि पूजन के अवसर पर CJI ने कहा कि न्यायालय की इमारत में भव्यता हो सकती है लेकिन वह दिखावे और फिजूलखर्ची से मुक्त होनी चाहिए। उन्होंने न्यायिक अधिकारियों और आर्किटेक्ट्स से आग्रह किया कि वे ऐसे ढांचे का निर्माण करें जो लोकतांत्रिक मूल्यों का आदर करता हो, साम्राज्यवादी और विलासी दिखावा नहीं।CJI गवई ने कहा, “मैंने मीडिया में पढ़ा कि नई इमारत में एक लिफ्ट केवल दो जज साझा करेंगे। मैं साफ करना चाहता हूं कि जज अब सामंती शासक नहीं रहे, वे जनता की सेवा में नियुक्त हैं,” और जो भी फैसले हों वे लोकतंत्र की भावना के अनुरूप होने चाहिए। इस नए परिसर को 30 एकड़ भूमि में विकसित किया जाएगा, जिसमें आधुनिक तकनीकी सुविधाएं होंगी और वह पर्यावरण के अनुकूल भी होगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत बढकर 4,217 करोड़ रुपये हो गई है।मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस अवसर पर कहा कि नया भवन इतिहासिक हाईकोर्ट भवन का पूरक होगा, जो 1862 से देश के न्यायिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि नई इमारत की भव्यता लोकतांत्रिक और सर्वसुलभ हो, न कि किसी शाही महल जैसी। उन्होंने कहा कि न्यायालय का काम सरलता, न्याय और सेवा है, इसलिए इसका परिसर भी उसी भावना का दर्पण होना चाहिए।इस मौके पर बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री अजीत पवार, और मंत्री शिवेंद्रसिंह राजे भोसले सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। CJI गवई ने यह भी कहा कि यह उनकी महाराष्ट्र में यात्रा के दौरान अंतिम अवसरों में से एक है, और वे अपने गृह राज्य में इस तरह के उत्कृष्ट न्यायिक भवन का शिलान्यास करके गर्व महसूस कर रहे हैं।यह नया भवन जब पूरा हो जाएगा, तो मुंबई के वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर यह सबसे भव्य और आधुनिक न्यायिक संरचना होगी, जिसमें न्यायाधीशों, वकीलों और आम जनता के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी, साथ ही इसे ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोन से भी डिज़ाइन किया जाएगा।सीजेआई गवई की यह टिप्पणी न्यायिक परिसरों के निर्माण में हो रही फिजूलखर्ची और भव्यता के बढ़ते ट्रेंड के बीच एक महत्वपूर्ण संदेश है, जिसमें न्यायालयों को जनता की सेवा के केंद्र के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि आलीशान और खर्चीले होटल की तरह। इस घोषणा ने न्यायपालिका की जनसाधारण के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित किया है और नए भवन की सादगी व लोकतांत्रिक स्वरूप की उम्मीद जगाई है।यह घटना बॉम्बे हाईकोर्ट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल है, जो न्यायपालिका के मूल्यों को संरक्षित करते हुए एक सशक्त और आधुनिक न्यायिक अवसंरचना की दिशा में कदम है।









