वाराणसी – विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले जनपद के बिजलीकर्मियों का निजीकरण के खिलाफ आंदोलन शुक्रवार को लगातार 352वें दिन भी जारी रहा। धरना स्थल पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने ऊर्जा विभाग की नीतियों पर गहरी आपत्ति जताते हुए कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के तहत इस वर्ष विभिन्न मंडलों में प्रबंध निदेशक कार्यालय द्वारा 7% से 22% तक संविदा कर्मियों की छंटनी की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है, जो विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। वक्ताओं ने कहा कि संविदा कर्मियों को हटाए जाने से गर्मी के मौसम में उपभोक्ताओं को और अधिक बिजली कटौती का सामना करना पड़ेगा। इससे न केवल विभाग की छवि खराब होगी बल्कि सरकार और मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने का प्रयास भी दिखाई देता है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऊर्जा प्रबंधन उपभोक्ताओं के बीच कर्मचारियों की नकारात्मक छवि पेश करने की साजिश रच रहा है।सभा में यह भी कहा गया कि मेरठ में वर्टिकल सिस्टम फेल होने के बावजूद लखनऊ में इसे लागू करना पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन की गलत नीतियों का उदाहरण है। वक्ताओं ने कहा कि पिछले एक वर्ष से पावर कॉर्पोरेशन केवल निजीकरण को आगे बढ़ाने में लगा है, जिसका प्रभाव पूरे ऊर्जा निगमों के कार्य वातावरण पर पड़ रहा है। धरने में प्रमुख रूप से ई. मायाशंकर तिवारी, आर.के. शाही, ओ.पी. सिंह, ई. एस.के. सिंह, राजेंद्र सिंह, अंकुर पांडेय, राम आशीष कुमार, राजेश कुमार, जितेंद्र कुमार, बृजेश यादव, राजेंद्र कुमार, अमित कुमार, पंकज यादव, दिनेश यादव, अरुण कुमार, सरोज भूषण, धर्मेंद्र यादव, प्रदीप कुमार आदि ने संबोधित किया।









