जमानियां। इतिहास रचते हुए स्टेशन बाजार स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय की पूर्व छात्रा दिव्यलता शर्मा ने शैक्षणिक जगत में अपने नाम का सुनहरा अध्याय जोड़ दिया है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने उन्हेंउनकेशोधप्रबंध ‘पउमचरिउ’ और ‘रामचरितमानस’ का तुलनात्मक सांस्कृतिक अनुशीलन विषय पर उच्च कोटि के अनुसंधान के लिए डॉक्टरेट (विद्या वाचस्पति) की उपाधि प्रदान की है।हिंदी विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन में संपन्न इस शोध का निर्देशन आचार्य प्रो. नीरज खरे ने किया। बाह्य परीक्षक प्रो. माधव हाड़ा की देखरेख में हुई मौखिकी परीक्षा में हिंदी विभाग के प्राध्यापक प्रो. प्रभाकर सिंह, डॉ. प्रभात मिश्र, डॉ. विवेक सिंह सहित अनेक विद्वानों की गरिमामयी उपस्थिति रही।डॉ. दिव्यलता शर्मा महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री की ज्येष्ठ पुत्री हैं। उन्होंने यूजीसी की एसआरएफ स्कीम में चयनित होकर अपना शोध कार्य पूर्ण किया, जो उनकी अनुसंधान क्षमता और निष्ठा का उत्कृष्ट उदाहरण है।उनकी इस उपलब्धि पर हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय परिवार में हर्ष और गौरव का वातावरण व्याप्त है। महाविद्यालय के प्रबंधक लछिराम सिंहयादव,प्राचार्य प्रो. श्रीनिवाससिंह, आईक्यूएसी प्रभारी प्रो. अरुण कुमार, इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. संजय कुमार सिंह तथासमस्तप्राध्यापकगण ने दिव्यलता शर्मा को हार्दिक बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की हैमहाविद्यालय के मीडिया प्रभारी एवं हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अभिषेक तिवारी ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि दिव्यलता विश्वविद्यालय स्तर पर महाविद्यालय का गौरव बढ़ाने वाली छात्रा रही हैंउन्होंने कहा कि उनकी यह सफलता आगामी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी और महिला शिक्षा के क्षेत्र में नवीन उद्दीपन का सन्देश देगी।









