वाराणसी। महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र, बीएचयू से प्रशिक्षित ईको स्किल्ड गंगामित्रों की टीम पिछले छह वर्षों से गंगा स्वच्छता और डॉल्फिन संरक्षण के लिए सक्रिय भूमिका निभा रही है। इसी कड़ी में बुधवार 12 नवंबर 2025 को महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की पुण्यतिथि पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें 50 से अधिक गंगामित्र जुड़े रहे।वेबिनार का संचालन गंगामित्र कोऑर्डिनेटर धर्मेंद्र पटेल ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत ‘जय माँ गंगे’, ‘हर-हर महादेव’ और ‘जय हो मालवीय जी’ के उद्घोष से हुई। मुख्य अतिथि के रूप में संस्था के सीनियर कोऑर्डिनेटर सी. शेखर ने मालवीय जी के जीवन एवं योगदान पर विस्तृत प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय का गंगा नदी से गहरा जुड़ाव था। वर्ष 1905 में उन्होंने गंगा महासभा की स्थापना की और 1916 में ब्रिटिश सरकार के साथ एक ऐतिहासिक समझौता कराया जिससे गंगा के अविरल प्रवाह की रक्षा सुनिश्चित की जा सके। उनके सम्मान में वाराणसी में गंगा नदी पर बने पुल का नाम “मालवीय पुल” रखा गया।सी. शेखर ने बताया कि पंडित मदन मोहन मालवीय जी को ‘महामना’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे प्रख्यात शिक्षाविद, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, वकील, राजनेता और पत्रकार थे। ‘अभ्युदय’, ‘लीडर’ और ‘मर्यादा’ जैसी पत्रिकाओं के संस्थापक संपादक होने के साथ-साथ वे हिंदू महासभा के संस्थापक सदस्य, काशी हिंदू विश्वविद्यालय और गंगा महासभा के संस्थापक एवं चार बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे।अंत में धन्यवाद ज्ञापन गंगामित्र कोऑर्डिनेटर धर्मेंद्र कुमार पटेल ने दिया। वेबिनार में खुशबू, रूपा पटेल, निधि तिवारी, निकिता, सक्षम तिवारी, कंचन सिंह, लव चतुर्वेदी, कमलेश यादव, अजीत पटेल, रूबी गुप्ता, आकांक्षा और लकी राय सहित कई गंगामित्र शामिल हुए।









