वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में इन दिनों अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। विद्यापीठ के अंग्रेजी एवं अन्य विदेशी भाषा विभाग और रूस के कोज़्मा मिनिन निज़नी नोवगोरोद स्टेट पेडागॉजिकल यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में संचालित दो सप्ताह का विशेष पाठ्यक्रम “रूसी चरित्र: भाषा के दर्पण में” अपने प्रथम सप्ताह के सफल समापन पर पहुँच गया। रूसी भाषा विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर एवं पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. नीरज धनकड़ ने बताया कि यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को न केवल भाषा सीखने का अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि उन्हें रूसी जीवन, संस्कृति और परंपराओं को गहराई से समझने का भी मौका दे रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम विद्यार्थियों में वैश्विक दृष्टिकोण विकसित करने और भारत–रूस के बीच शैक्षणिक व सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाते हैं। रूस से आईं प्रसिद्ध भाषाविद् डॉ. नज़ेज़्दा इगोरएवना ने आज के सत्र में छात्रों को फोनेटिक्स प्रैक्टिस कराई और डिप्लोमा तथा एडवांस डिप्लोमा विद्यार्थियों को चित्रों और पाठों के माध्यम से अध्ययन कराया। इस दौरान विद्यार्थियों को अस्पताल से संबंधित शब्दावली सिखाई गई तथा डॉक्टर–मरीज संवाद को पाठ और वीडियो फिल्म के माध्यम से और भी रोचक बनाया गया। सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम के छात्रों को रूसी खान–पान और ‘रूसी चाय संस्कृति’ से परिचित कराया गया। विद्यार्थियों ने जाना कि रूस में चाय केवल पेय नहीं, बल्कि आतिथ्य, संवाद और अपनत्व का प्रतीक मानी जाती है। फ़िल्म प्रस्तुति के माध्यम से छात्रों ने ‘समोवर’ नामक पारंपरिक बर्तन में चाय बनाने की प्रक्रिया देखी और यह भी जाना कि रूस में मेहमानों का स्वागत चाय के साथ किया जाता है। यह सत्र छात्रों के लिए भाषा और संस्कृति दोनों ही स्तरों पर एक यादगार अनुभव साबित हुआ — जिसने उनमें न केवल रूसी भाषा सीखने की जिज्ञासा बढ़ाई, बल्कि रूस की परंपराओं के प्रति गहरी रुचि भी उत्पन्न की।









